Sunday 31 January 2016

Just a slightest movement of a single hair of an eyebrow who can turn the future of any person .

जयाच्या भ्रू विक्षेप लहरी
क्षणात रंकाचा राव करी

Just a slightest movement of a single hair of an eyebrow who can turn the future of any person .
जिसकी इच्छासे ही सब शान ओ शौकत है
जिसके संकल्प मात्र से वसुंधरा संपन्न है वोह साईं अनिरुद्ध जिसके द्वार भिक्षा के लिए गए वो लोग कितने भाग्य शाली होंगे ।
हेमाडपंत ने जाना सद्गुरु के महात्म्य को
अन्यथा बाकी लोग बाबा को वेडा फ़क़ीर  मानते थे ।

बाबा के अकारण कारुण्या की वजहसे अवतरित होना और विषय वासनाओं के परे रहना बाबा के भिक्षा में मिले हुए अन्न के खाने के तरीकेसे हमें समझता है ।
सभी सूखे अन्न पदार्थ एक साथ और सभी द्रव्य पदार्थ एक साथ करके बाबा उसे खाते थे ।
हर अन्न पदार्थ का अलगसे आनंद लेने की कोई विषय आसक्ति नहीं थी ।
बाबा भिक्षा में मिला अन्न मस्जिद के द्वार के पास एक बर्तन में रखते थे और उस में से झाड़ू मारने वाली और अन्य जरुरत मंद लोग रोटी ले के जाते थे । वह बर्तन सभी लोगों और प्राणियों के लिए खुला रहता था ।
खुद की कुछ फिकर नहीं और औरों के लिए जो दान शुर है उसको व्यवहारिक भाषा में समझना मुश्किल है ।

यह साईं नाथ श्रद्धा और सबुरी की भिक्षा हमसे मांगता आ रहा है ।
हमें हर दिन प्रति दिन श्रद्धा बढाते रहने का पूरा प्रयास करते रहना चाहिए ।



अम्बज्ञ
डॉ निशिकान्तसिंह विभुते

--

No comments:

Post a Comment