Friday, 10 February 2017

PANCHSHEEL EXAM -PLANNING

परीक्षा कैसे दें ? भाग 2
नियोजन करना (To get organized) - part 1

नियोजन न करते हुए सफलता की अपेक्षा करना गलत है ।
नियोजन से ही सफलता की शुरुवात होती है ।


पंचशील परीक्षा में हमें सर्व प्रथम हमारा नाम , माध्यम , पत्ता , इत्यादि विवरण लिखना जरुरी होता है   ।
यह विवरण हमें पाहिले पन्ने पर बड़े अक्षरों में लिखना चाहिए । जिससे परीक्षकों को विविध उत्तर पत्रिका (डिवाइड )विभाजन (Sorting) करने में आसानी होती हैं ।

कुछ परीक्षार्थि को अपना नाम इत्यादि जानकारी छोटे अक्षर में लिखकर , उसी पन्ने पर पहिला उत्तर लिखना चालु कर देते है ।
मेरे विचारसे ऐसा नहीं करना चाहिए ।

पहिला पन्ना याने मुखपृष्ठ सिर्फ "नाम उपासना केंद्र इत्यादि " लिखने के लिए ही इस्तेमाल करना अच्छा रहता है ।
जिस पन्ने पर नाम इत्यादि लिखते है, उसके पीछे  हो सके तो कुछ नहीं लिखना चाहिए । कभी कभी स्याही (ink)मुख पृष्ठ पर फ़ैल सकती है ।

दूसरे पन्नेसे प्रश्न उत्तर लिखना चालु करना बेहत्तर रहता है (ऐसा मेरा मानना है ।)

कागज का उपयोग सही तरीके से करें । ज्यादा कागज वेस्ट नहीं करना चाहिए , और उसी तरह कागज बचाने के लिए छोटे छोटे अक्षर निकालकर ऊपर से नीचे तक हर जगह नहीं लिखना चाहिए । एक मध्य साधना चाहिए ।

जहां पर जरूरी है वहां पर बड़े अक्षर से लिखना चाहिए और थोड़ी जगह भी छोड़नी चाहिए। कागज के दोनों साइड में मार्जिन बनानी चाहिए । एक बाजू के मार्जिन में हम प्रश्न क्रमांक  लिख सकते हैं  और दूसरी मार्जिन में साधारणतया कुछ ना लिखें वह जगह परीक्षक मार्क लिखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं ।

हर एक नए प्रश्न को नए पन्ने पर चालू करें ।
प्रश्न क्रमांक या प्रश्न लिखना ना भूले ताकि परीक्षक को समझ में आपके किस प्रश्न का यहां उत्तर चालू हो रहा है।
जहां जरूरी है वहां पैराग्राफ चेंज करें ।

हर उत्तर के शुरूआत में हमें संक्षिप्त में लिखना चाहिए कि पूरे उत्तर में किन प्रमुख पर बातों का उल्लेख किया गया है ।

हम् विभाग भी बना सकते है । जैसे की


- प्रस्तावना
-कथा
-भावार्थ
-हमसे इस कथा का सम्बन्ध
-आज की परिस्थिति (सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू की ऐसी ही कोई लीला )
- सन्दर्भ
-  सारांश


इससे परीक्षक को अंदाजा आ जाता है कि पूरे उत्तर में क्या लिखा हुआ है इससे परीक्षक का काफी वक्त बच जाता है।

फ्लो चार्ट या माइंड मैप ऐसे बना सकते हैं जिसमें प्रश्न के उत्तर के प्रमुख बातें आ जाती है ।

छोटे-छोटे चित्र डायग्राम बनाएं जिससे हम जो बताना चाह रहे हैं वह अत्यंत आसानी से बता सकते हैं । जिससे परीक्षक को हमारी संकल्पना समझने में आसानी होती है ।
"
उत्तरपत्रिका सुशोभित करना यह एकदम जरुरी चीज नहीं है ।
लेकिन जहां तक हो सके वहां तक हमें पूरे मन से अच्छे हस्ताक्षर में लिखना चाहिए ।और उत्तरपत्रिका पढ़ सकें ऐसा लिखना चाहिए। सुशोभित करना हमें अगर आता है तो विविध चित्र लगाकर या हाथों से कुछ चित्र बनाकर या अलग रंगों की पेंसिल पेन स्केच पेन इस्तेमाल कर हम हमारे उत्तरपत्रिका को सुशोभित(Decoration) कर सकते हैं।
 लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है की सुशोभित करना अत्यंत अनिवार्य चीज नहीं है । जो हम उत्तर पत्रिका में लिखते हैं वहां वह वाक्य ,वह मन का भाव यह ज्यादा मायने रखते हैं । इसलिए हमारा ध्यान उत्तर और उत्तर से संबंधित चीजों से नहीं भटकना चाहिए जहां हो सके वहां संदर्भ देना अच्छा रहता है।
 जैसे किसी उत्तर में हमें मातृवात्सल्यविंदानम ग्रंथ के कुछ पंक्तियां संबंधित लगती है तो उस वक्त हम वह संदर्भ दे सकते हैं ।
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजीनें हमें बहुत सारे ग्रंथ दिए है । परमपूज्य बापू हमें श्रीमदपुरुषार्थग्रंथराज ,  रामरसायन,  मातृवात्सल्यउपनिषद् - विंदानम, अग्रलेख इत्यादी  माध्यमों से अध्यात्म का परिचय कराते हैं ।
इन सभी ग्रंथों का इस्तेमाल करके हम संदर्भ दे सकते हैं उसी तरह कृपासिंधु मैगजीन में आने वाले विविध अनुभवों का भी हम उपयोग कर सकते हैं । यह बात हमें ध्यान रखनी बहुत जरूरी है कि पंचशिल परीक्षा हमारी श्रद्धा और सबूरी बढ़ाने के लिए हमारे प्रिय श्रद्धावानपितास्वरुप सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू इन्होंने चालू की है और जब हम यहां परीक्षा देते हैं ।
हम उत्तर लिखते वक्त अपने आप हमारे अंदर गुरुकृपा का अनुभव - आनंद महसूस करते हैं ।
यह बात ध्यान में रखकर हमेशा हमें पंचशील परीक्षा देनी चाहिए।

 हरि ओम श्री राम अम्बज्ञ ।
(ऊपर लिखे हुए विचार मेरे वैयक्तिक है ; हर किसी की विचारधारा भिन्न हो सकती है ।)
 
डॉ निशिकान्तसिंह विभुते

।। हरि ॐ श्री राम अम्बज्ञ ।।

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