Sunday 3 February 2019

CONTENT OF ANSWERS - APPEARING PANCHSHEEL EXAMS EFFECTIVELY (HINDI)

पंचशील परीक्षा में उत्तर कैसे लिखे ?
पंचशील परीक्षा मे हर कोई अपने खुद के अंदाज से उत्तरे सकता है।
 हर किसीका अपना अलग तरीका हो सकता है। लेकिन इस आर्टिकल में  बताऊंगा की मै कैसे लिखना पसंद करता हू।

पंचशील परीक्षा मे ज्यादा सवाल बडे बडे उत्तर वाले होते हे ।



सर्वप्रथम हमें सारे सवाल बराबर से पढ़ लेने चाहिए।
 फिर हमें सारे सवालों के महत्वपूर्ण प्वाइंट्स निकाल लेने चाहिए। हर एक प्रश्न का अलग से माइंड मैप हम पहले बना ले तो बाद में लिखने में आसानी होती है ।

उसके पश्चात हमें सबसे मुश्किल प्रश्न पहले लिखना चाहिए।
 या फिर सबसे बड़ा प्रश्न पहले लिखना चाहिए ।
यहां पद्धति हमारे मन के अंदर के तनाव को कम करता है और साथ में हमारे वक्त के नियोजन को भी बनाए रखता है
हमें वक्त हर एक सवाल के लिए बराबर से नियमित कर लेना चाहिए ।

जितने दिन हमें परीक्षा लिखने के लिए मिले हैं उनसे कम दिनों में हमारा उत्तर पत्रिका लिख कर पूरी हो जानी चाहिए। कभी-कभी कुछ इमरजेंसी आने की वजह से या बिजी शेड्यूल की वजह से हमें उत्तर लिखने के लिए वक्त नहीं मिलता।

 अगर हम आखिरी दिन तक लिखते रहे तो आखिर आखिर में हमारा कुछ लिखना रह जाता है।
 हमारे उत्तरों की क्वालिटी थोड़ी कम हो जाती है।

 इसलिए शुरुआत से ही ज्यादा स्पीड में लिखना चाहिए। हमारा  यह लक्ष्य होना चाहिए कि निर्धारित समय पर हमें उत्तर पत्रिका जमा कर देनी है । पोस्ट कर देनी है ।

हर एक उत्तर का माइंड मैप बनाते वक़्त हमें प्रश्न किस अध्याय से है प्रश्न से संबंधित कथा , उस कथा के सभी पात्र , उस कथा से हमें मिलने वाला बोध ,उस कथा जैसी अन्य कथाएं जो मातृवात्सल्यविंदानम,  ग्रंथराज  सुंदरकांड इत्यादि ग्रंथों में आती है ,वह भी संदर्भ में लिख सकते हैं ।
 उस कथा से संबंधित अगर हमें कोई अनुभव पता है या कृपासिंधु या प्रत्यक्ष वैसे कुछ कथा पढ़ी है तो वह भी हम लिख सकते हैं।



अगर हमें माइंड मैप ऑफ फ्लो चार्ट बनाना मुश्किल लगता है , तो हम सीधे-सीधे हमारे उत्तर में आने वाले महत्वपूर्ण प्वाइंट्स को शुरुआत में लिख सकते हैं ।
उदाहरण:-
1. प्रस्तावना
2. कथा
3.कथा से मिलने वाला बोध
4. अन्य उदाहरण ग्रंथराज में से संदर्भ
5. संक्षेप

जब हम उत्तर लिखने की शुरुआत में ही हमारे पूरे उत्तर में क्या क्या चीजें आने वाली है यह लिख देते हैं तो हमारे उत्तर पत्रिका चेक करने वाले परीक्षक के लिए उत्तर पत्रिका में आगे क्या लिखा हुआ है यह जानना आसान हो जाता है।
हमारे ज्यादा मार्क्स मिलने के चांसेस बढ़ने लगते हैं।

 वैसे ही यहां शुरुआत का फ्लो चार्ट या हमारे कुछ पॉइंट्स आगे हमें उत्तर लिखने में बहुत ही मददगार साबित होते हैं ।
हम हमारे विषय से भटकते नहीं और समय पर हम पूरा उत्तर लिखकर पूरा कर सकते हैं।

और एक विशेष बात- जब आप फ्लोचार्ट बनाते हैं तब हमें बहुत सारी अलग-अलग संकल्पनाएँ समझ में आने आने लगती है । नए विचार सूझने लगते हैं।


उसके पश्चात हम हमारा पूरा उत्तर विस्तार से लिख सकते हैं ।
उत्तर में कुछ अलग अलग सब टाइटल भी लिख सकते हैं।
 जहां पर महत्वपूर्ण मुद्दा, प्वाइंट है वहां पर अलग रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं ।उसे अंडरलाइन कर सकते हैं जिससे वह आसानी से दिख जाएं ।

प्रश्न कौन से कथा से आया है, और प्रश्न से सम्बन्धित कथा क्या है यह लिखना हमारे लिए जरूरी है ।
उसके पश्चात उस कथा के कथानक एवं उस में आने वाले सभी श्रद्धावान और उनकी श्रद्धा इसका हमारे जीवन से क्या संबंध है , उनसे हम क्या सीख सकते हैं वह हमें लिखना चाहिए।
 हमारे सद्गुरू अनिरुद्ध बापू हमेशा कहते हैं कि साई सच्चरित्र यह सिर्फ सद्गुरु साईनाथ का चरित्र नहीं है बल्कि यह उनके भक्तों का  आचरण भी है। इसका मतलब है कि हमें इन भक्तों का आचरण देख कर हमारे जीवन में भी योग्य बदलाव करना चाहिए ।

हमारे प्रश्न का सवाल लिखते वक्त हम छोटे-छोटे चित्र बना सकते हैं ।
हमें बहुत बड़ा कलाकार होने की जरूरत नहीं है छोटे-छोटे चित्र आसानी से हमारे बात परीक्षक तक पहुंचा सकते हैं।
 जवाब लिखकर पूरा होने के बाद में हमें पूरा जवाब एक बार फिर से पढ़ना चाहिए और आखिर में संक्षेप यानी मतलब कंक्लूजन देना चाहिए।

इस तरह हम अत्यंत विस्तारपूर्वक और ऑर्गेनाइज्ड , विशिष्ट पद्धतिपूर्ण तरीके से उत्तर लिखने के बाद हमें जरूर पहले से अच्छे मार्ग मिलेंगे ।

हमें कितने मार्क मिलते हैं वह महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन हमें जो जो समझता है, हमें जो जो आता है, वह लिखना जरूरी है क्योंकि वह लिखते लिखते हमारे मन के अंदर भक्ति भाव चैतन्य खिलने लगता है।
 और वही हमारे जीवन का विकास करता है।

 हरि ओम ।। श्री राम ।। अम्बज्ञ ।।

नाथसंविध ।।

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