पंचशील परीक्षा की उत्तर पत्रिका कैसे आकर्षक और सुंदर बनाए ।
हमें पंचशील परीक्षा की उत्तर पत्रिका कैसे आकर्षक और सुंदर बनाने की इच्छा निर्माण होना एक अच्छी बात है।
हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू हमारे जीवन को सुंदर बनाने के लिए हमेशा मेहनत करते रहते है।हमारे जीवन का सम्पूर्ण विकास यही इन परीक्षाओं का ध्येय है।
महत्वपूर्ण बात:- हमें मन में गलतफहमी नहीं रखनी चाहिए कि पेपर सुशोभित नही किया तो कम मार्क मिलेंगे ।
जैसा की हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू हमेशा बताते है कि यह भक्ति बढ़ाने के हेतु से बनाई गई परीक्षा है । सद्गुरु साईनाथ की अनेक लीलाएं और उनके भक्तों की उनके प्रति समर्पण के उदाहरण देख कर हमारे मन मे भक्ति भाव चैतन्य का उदय होता है।
हमारी भी मन में अचेतन पड़ी कई भक्ती भाव की बीजों पर इन लीलाओं का वर्षाव होने से वे धीरे धीरे अंकुरित होने लगती हैं।
यह ध्यान में रख कर लिखना हमारा प्रथम कर्तव्य है।
ज्यादा मार्क हमें जरूर मिल सकते है ।
मेरे अनुभव से हमें कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है -
1. प्रश्न को सही मायनों में समझना । परीक्षक को हमसे क्या लिखने की अपेक्षा की है यह समझना ।
जो अपेक्षित है वही लिखना हमें ज्यादा से ज्यादा मार्क दिला सकता है.
2. परीक्षक को समझ में आए इस तरह से लिखना परीक्षक का काम आसान कर देता है.
3.जो भी हम पूरे विस्तार से लिखने वाले हैं उसके कुछ पॉइंट्स बनाकर शुरुआत में हम लिखे । तो परीक्षक को आगे क्या क्या लिखा हुआ है इसका अंदाजा आ जाता है।
और साथ में ही जहां पर हम नया पॉइंट चालू करते हैं वहां पर सब टाइटल (उपशीर्षक) लिखे तो और ज्यादा आसानी से परीक्षक पढ़ सकते हैं.
4 हमें छोटे-छोटे फ्लोचार्ट , या हाथ से बनाए हुए चित्र जगह-जगह निकालने से हमारा प्वाइंट हम और आसानी से समझा सकते हैं.
5. उत्तर लिखने के बाद आखिरी पैराग्राफ में हम फिर से एक संक्षिप्त में - उस कथा से क्या बोध होता है और वह कथा हमें हमारे जीवन में कैसे मार्गदर्शन करती हैं, यह हम लिखे तो ज्यादा अच्छा.
उत्तर पत्रिका सद्गुरु के लिए लिख रहे हैं यह याद रखते हुए हमें उसे अच्छे से अच्छे बनाना हमे एक आनंद की भावना प्रदान करता है।इसलिए हम अपने उत्तर पत्रिका को ज्यादा से ज्यादा अच्छा बना कर दे सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बातें अपनी उत्तर पत्रिका आकर्षक बनाने के लिए जो हर कोई कर सकता है वह इस तरह है :-
1) अपना हस्ताक्षर मतलब हैंडराइटिंग पढ़ने लायक होना जरूरी है. जगह जगह जहां जरूरत है वहां पैराग्राफ बनाना और दो वाक्यों के बीच में बराबर अंतर रखना हमारे उत्तर को पढ़ने के लिए आसान बना देता है.
2) उत्तर पत्रिका फुल स्केप पेपर में होनी जरूरी है क्योंकि वहां परीक्षा के दिए हुए नियमों से में से एक नियम है. पेपर पर दोनों साइड में मार्जिन बनाना अच्छा रहता है. एक बाजूकी मार्जिन हमें उत्तर लिखते वक्त क्रमांक लिखने में और परीक्षक को हमारे मार्ग लिखने के लिए जगह देते हैं.
दूसरी बाजू की मार्जिन हमें सभी पेपर्स को बांधने के लिए या staple करने के लिए जगह देते हैं.
3) हमें ऊपर के मार्जिन के बाहर लिखना नहीं चाहिए. पेपर बचाने के लिए कोने कोने में लिखना भी गलत है और जगह जगह खाली जगह छोड़कर पेपर वेस्ट करना भी गलत है.
जहां जरूरत है वहां खाली जगह छोड़ी जा सकती है.
4) नए प्रश्नों को नए पेज पर चालू करना अच्छा रहता है. इससे परीक्षा को समझ में आता है कि यहां से दूसरा उत्तर शुरू हो रहा है .
5) जहां पर हमारा कोई वाक्य महत्वपूर्ण होता है या हम कोई रेफरेंस किसी अन्य ग्रंथ से देते हैं तब हमें वह वाक्य स्केच पेन या फिर डार्क पेन से लिखने से वहां तुरंत दिखाई देगा. या फिर ऐसे वाक्यों को हमअंडर लाइन भी कर सकते हैं.
6) हम पुरानी मैगजीन से ,या पुराने Dainik प्रत्यक्ष से कुछ चित्र निकालकर हमारे उत्तर पत्रिका में चिपका सकते हैं .अगर वह चित्र उस उत्तर से संबंधित हो तो और भी अच्छा ।
यह कुछ सामान्य बातें हैं जो आपके पेपर को और अच्छा बना सकते हैं।
इस लेख के अंत में मैं फिर से यहां कहना चाहूंगा की सबसे महत्वपूर्ण बात है प्रश्न को समझना, समझ में आए ऐसा उत्तर लिखना और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि यहां प्रश्न हमारे जीवन का संपूर्ण विकास किस तरह से कर रहा है हमारे जीवन में भक्ति भाव चैतन्य किस तरह से भर रहा है इसको समझना और समझते समझते लिखना।
।। हरि ॐ।। श्री राम ।।
।। नाथसंविध।।
हमें पंचशील परीक्षा की उत्तर पत्रिका कैसे आकर्षक और सुंदर बनाने की इच्छा निर्माण होना एक अच्छी बात है।
हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू हमारे जीवन को सुंदर बनाने के लिए हमेशा मेहनत करते रहते है।हमारे जीवन का सम्पूर्ण विकास यही इन परीक्षाओं का ध्येय है।
महत्वपूर्ण बात:- हमें मन में गलतफहमी नहीं रखनी चाहिए कि पेपर सुशोभित नही किया तो कम मार्क मिलेंगे ।
जैसा की हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू हमेशा बताते है कि यह भक्ति बढ़ाने के हेतु से बनाई गई परीक्षा है । सद्गुरु साईनाथ की अनेक लीलाएं और उनके भक्तों की उनके प्रति समर्पण के उदाहरण देख कर हमारे मन मे भक्ति भाव चैतन्य का उदय होता है।
हमारी भी मन में अचेतन पड़ी कई भक्ती भाव की बीजों पर इन लीलाओं का वर्षाव होने से वे धीरे धीरे अंकुरित होने लगती हैं।
यह ध्यान में रख कर लिखना हमारा प्रथम कर्तव्य है।
ज्यादा मार्क हमें जरूर मिल सकते है ।
मेरे अनुभव से हमें कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है -
1. प्रश्न को सही मायनों में समझना । परीक्षक को हमसे क्या लिखने की अपेक्षा की है यह समझना ।
जो अपेक्षित है वही लिखना हमें ज्यादा से ज्यादा मार्क दिला सकता है.
2. परीक्षक को समझ में आए इस तरह से लिखना परीक्षक का काम आसान कर देता है.
3.जो भी हम पूरे विस्तार से लिखने वाले हैं उसके कुछ पॉइंट्स बनाकर शुरुआत में हम लिखे । तो परीक्षक को आगे क्या क्या लिखा हुआ है इसका अंदाजा आ जाता है।
और साथ में ही जहां पर हम नया पॉइंट चालू करते हैं वहां पर सब टाइटल (उपशीर्षक) लिखे तो और ज्यादा आसानी से परीक्षक पढ़ सकते हैं.
4 हमें छोटे-छोटे फ्लोचार्ट , या हाथ से बनाए हुए चित्र जगह-जगह निकालने से हमारा प्वाइंट हम और आसानी से समझा सकते हैं.
5. उत्तर लिखने के बाद आखिरी पैराग्राफ में हम फिर से एक संक्षिप्त में - उस कथा से क्या बोध होता है और वह कथा हमें हमारे जीवन में कैसे मार्गदर्शन करती हैं, यह हम लिखे तो ज्यादा अच्छा.
उत्तर पत्रिका सद्गुरु के लिए लिख रहे हैं यह याद रखते हुए हमें उसे अच्छे से अच्छे बनाना हमे एक आनंद की भावना प्रदान करता है।इसलिए हम अपने उत्तर पत्रिका को ज्यादा से ज्यादा अच्छा बना कर दे सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बातें अपनी उत्तर पत्रिका आकर्षक बनाने के लिए जो हर कोई कर सकता है वह इस तरह है :-
1) अपना हस्ताक्षर मतलब हैंडराइटिंग पढ़ने लायक होना जरूरी है. जगह जगह जहां जरूरत है वहां पैराग्राफ बनाना और दो वाक्यों के बीच में बराबर अंतर रखना हमारे उत्तर को पढ़ने के लिए आसान बना देता है.
2) उत्तर पत्रिका फुल स्केप पेपर में होनी जरूरी है क्योंकि वहां परीक्षा के दिए हुए नियमों से में से एक नियम है. पेपर पर दोनों साइड में मार्जिन बनाना अच्छा रहता है. एक बाजूकी मार्जिन हमें उत्तर लिखते वक्त क्रमांक लिखने में और परीक्षक को हमारे मार्ग लिखने के लिए जगह देते हैं.
दूसरी बाजू की मार्जिन हमें सभी पेपर्स को बांधने के लिए या staple करने के लिए जगह देते हैं.
3) हमें ऊपर के मार्जिन के बाहर लिखना नहीं चाहिए. पेपर बचाने के लिए कोने कोने में लिखना भी गलत है और जगह जगह खाली जगह छोड़कर पेपर वेस्ट करना भी गलत है.
जहां जरूरत है वहां खाली जगह छोड़ी जा सकती है.
4) नए प्रश्नों को नए पेज पर चालू करना अच्छा रहता है. इससे परीक्षा को समझ में आता है कि यहां से दूसरा उत्तर शुरू हो रहा है .
5) जहां पर हमारा कोई वाक्य महत्वपूर्ण होता है या हम कोई रेफरेंस किसी अन्य ग्रंथ से देते हैं तब हमें वह वाक्य स्केच पेन या फिर डार्क पेन से लिखने से वहां तुरंत दिखाई देगा. या फिर ऐसे वाक्यों को हमअंडर लाइन भी कर सकते हैं.
6) हम पुरानी मैगजीन से ,या पुराने Dainik प्रत्यक्ष से कुछ चित्र निकालकर हमारे उत्तर पत्रिका में चिपका सकते हैं .अगर वह चित्र उस उत्तर से संबंधित हो तो और भी अच्छा ।
यह कुछ सामान्य बातें हैं जो आपके पेपर को और अच्छा बना सकते हैं।
इस लेख के अंत में मैं फिर से यहां कहना चाहूंगा की सबसे महत्वपूर्ण बात है प्रश्न को समझना, समझ में आए ऐसा उत्तर लिखना और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि यहां प्रश्न हमारे जीवन का संपूर्ण विकास किस तरह से कर रहा है हमारे जीवन में भक्ति भाव चैतन्य किस तरह से भर रहा है इसको समझना और समझते समझते लिखना।
।। हरि ॐ।। श्री राम ।।
।। नाथसंविध।।
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