Monday 4 July 2016

PANCHSHEEL EXAMS - CONFIDENCE DEVELOPMENT (HINDI)



कई बार देखा जाता है की कुछ छात्र अत्यंत आत्मविश्वास से भरे रहते है । उनमें से कुछ छात्रोंकी परीक्षा की तैयारी भी अधूरी रहती है । फिर भी भरपूर आत्मविश्वास रहता है ।
और कुछ जगह  उससे एकदम उलटा देखा जाता है । कुछ छात्र परीक्षा के आखरी दम तक पढ़ते रहते है , और फिर भी आत्मविश्वास की कमी उनके चेहरेसे झलकती है ।

ऐसे लगता है की आत्मविश्वास और मेहनत में संबंध है भी और नहीं भी . जैसे और भी कोई चीज है जो आत्मविश्वास को तय करती  है .

आत्मविश्वास इंसानको एक आनंद की भावना देता है जो की हर एक क्षेत्र में यश पाने के लिए जरूरी है ।

आत्मविश्वास पर ही बहुत सारे निर्णय तय होते है ।

परीक्षा अच्छी तरह से देने के लिए आत्मविश्वास "संजीवनी बूटी"का काम करता है ।

कुछ संकल्पनाएँ है जो समझनी जरुरी है अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए।
वो है -

1. स्व-कार्य-विश्वास (Self Efficacy)
2. आत्मविश्वास (Self Confidence)
3. परमात्म-विश्वास (Faith in the Almighty)


स्व -कार्य विश्वास (self efficacy)
मै यह कार्य संपूर्ण कर पाउँगा यह अपने काबिलियत पर विश्वास ।
जब कोई पंछी डाल पर बैठता है , या किसी डोर पर बैठता है तो डरता नहीं की वोह गिर जाएगा , क्योंकि उसे अपने पँखों पर पूरा विश्वास होता है । डाल टूट भी जाए तो भी मै उड़ पाउँगा । गिरूँगा नहीं ।*

यह विश्वास मनुष्य को मेहनत करने से मिलता है ।
अपनी मेहनत और अपने ध्येय पर विश्वास रखने से मिलता है ।


आत्मविश्वास (self confidence)
खुदके ऊपर का भरोसा । हर एक परिस्थितियों में स्थिर रहकर डटके मुकाबला करूँगा । यह विश्वास ।
ईसमें मुझे हमेशा यश मिले या न मिले मै अपना कार्य , अपनी मेहनत बराबर करूँगा यह हौसला ।
हर परिस्थिति में शांत मन रखना और अपने ऊपर क्रोधित न होने से आत्मविश्वास बढ़ता हैं ।
अपने प्रति प्रेम और आदर आत्मविश्वास का मूल आधार हैं ।


परमात्म - विश्वास (Faith in Supreme Creator / The God) 
हर सकारात्मक ऊर्जाओंका स्त्रोत एकमेव परमात्मा ही है । वह हर समय मुझे विभिन्न परिस्थितियों में लढने के लिए बल - बुद्धि और सबुरी देता है । वह है इसलिये मै हूँ यह भाव । वह संपूर्ण शक्तिमान और दयालु हमेशा मेरे साथ रहता हैं यह विश्वास ।
डॉ अनिरुध्द जोशी (सद्गुरु श्री अनिरुध्द बापूजी ) हमेशा कहते है , आत्मविश्वास हमेशा परमात्म- विश्वास से ही मिलता है ।
इसलिये यह इंसान हमेशा सकारात्मक रहता है ।
सकारात्मकता मनुष्य को मुश्किल घडी से भी बाहर निकालती है ।



कैसे रखे हमारा नजरिया (Attitude) परीक्षा के प्रति ? 

जैसा हम सोचते है वैसा ही होता है - कुछ हद तक ।
अगर हम सोचेंगे की परीक्षा कठिन जायेगी - तो साधारणसे प्रश्न भी कठिन लगने लगेंगे ।

अगर हम सोचेंगे की परीक्षा मै आराम से अच्छे गुण लेके पास हो जाऊंगा - तब भलेही प्रश्न मुश्किल हो - आप शांत मन रख कर उसमें भी हल निकाल लेंगे ।

पहले आपको तय करना हैं " आपको क्या चाहिए ? " 
"आप किस चीज के हकदार है ?" 

: अगर आप सोचते है की " आप परीक्षा मे अच्छे गुण लेने के हकदार है । अगली कक्षा में जाने के लिए , अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिये योग्य है - तो अंदर से जीत पक्की हो जायेगी ।
अगर अंदरसे जीत पक्की होगी तो आपकी मेहनत भी वैसे ही होगी । और निर्णय (Results) आपका अच्छा ही आएगा ।


 - जब हम सोचते है की कार्य आसान है तब हम ज्यादा उत्साह से भरे रहते है । जब सोचते है कार्य मुश्किल है तब हम उस कार्य को टालते है या बाद मे करने की सोचते है ।
इसलिये हमें सोचना चाहिए की निर्णय अच्छा ही आएगा । मै अपने मेहनत पर ध्यान दूंगा ।

...  आपका यश आपसे दूर नहीं होगा ।


डॉ निशिकांत विभुते ।

7 comments:

  1. अम्बज्ञ. खूप छान मार्गदर्शन आपल्या ब्लॉग मुले झालें. नव्याने परीक्षा देणारे आणि नेहमी परीक्षा देणारे ह्या दोघांनाही उपयुक्त आहे.👍💐

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  2. बहोतही अच्छा मार्गदर्शन, निशिकांतजी

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  3. डॉ आपण प्रत्येक जण ह्या फेस मधून जातच असतो । तुमचा हा लेख खूप मार्गदर्शक आहे व राहील । Thnks a lot.

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